Dr. Kaushik Chaudhary's Political Articles (In Hindi)
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भारत को आज़ादी गांधी नहीं बोस की वजह से मिली थी!
'भारत की स्वतंत्रता बोस की आज़ादी और सार्वभौमत्व की रक्षा के लिए युद्ध करना ही धर्म है - उस आदर्श का परिणाम थी।'
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गांधीजी की विचारधारा - आज कितनी अमल में, कितनी प्रासंगिक?
‘गांधी को केवल सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में देखना उन्हें पहचानने में हमारी अक्षमता होगी। गांधीजी मानवता के प्रतिनिधि थे। मानवता का अर्थ है मनुष्य और उसका सामर्थ्य।’
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गांधी, सरदार और बोस - भारत की महानता को बनाए रखने का त्रिवेणी संगम
‘गांधीजी के आदर्श एक बगीचे में खिलनेवाले गुलाब के सुगन्धित फूल की तरह हैं और सरदार के आदर्श उस गुलाब की रक्षा करने वाले काँटों की तरह हैं। जबकि बोस उस बगीचे के माली हैं।‘
Dive Deeper into Politics with Dr. Kaushik Chaudhary
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हमारे देश का नाम राजा भरत के नाम पर ही क्यों रखा गया?
'जहाँ राम जैसे ईश्वर की कक्षा के लोगो ने जन्म लिया था, वह आर्यव्रत भरत जैसे एक राजा के नाम पर 'भारत' क्यों कहलाया? क्या हैं भारतीय होने का मतलब?'
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हिंदू राष्ट्र और हिंदू राज्य के बीच अंतर
"हिन्दू राष्ट्र का महान विचार सेक्युलारिज़म के विचार से कई ज्यादा श्रेष्ठ है, यदि देश का प्रत्येक नागरिक इस विचार को समझ ले तो भारत की गंदी राजनीति इसे विकृत करना बंद कर सकती है।"
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भारत के इस्लामीकरण को रोकने का बस यही एक तरीका है..!
उस सच्चे सेक्युलरिज्म की स्थापना जो आज तक हम नहीं कर पाए!
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रियल एस्टेट के बहाव और दबाव के बीच खेती और खेतीलायक भूमि की रक्षा कैसे करें?
'एक ओर, सदगुरु खेतीलायक़ मिट्टी को बचाने के लिए इतना बड़ा अभियान चला रहे है, और दूसरी ओर, वह मिट्टी जिस खेतीलायक़ ज़मीन में है, उस ज़मीन को ही रियल एस्टेट के बाज़ार में अंधाधुंध बेचा जा रहा है। और उस ज़मीन का कोई ख़रीददार उसे खेती लिए नहीं ले रहा।'
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गुजरात के भविष्य में आम आदमी पार्टी का स्थान
‘वो कोई भी विपक्षी पार्टी जो गुजरात में भ्रष्टाचार के विरोध में सत्ता में आना चाहती है, वह पहले हिन्दुओं की सुरक्षा का भरोसा और मुस्लिम तुष्टिकरण एवं अतिक्रमण के ख़िलाफ़ होने का सख़्त संदेश गुजरात की जनता को दे। वह सेक्यूलरिज़म और निष्पक्षता का भ्रष्ट आलाप यहाँ नहीं चलेगा।’
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चाणक्य का आज के भारत के नाम एक छोटा पर मर्मस्पर्शी संदेश
यह वह भारत राष्ट्र है, जहां मनुष्य को ईश्वरत्व पाने का मौक़ा मिलता है। यहाँ मनुष्य किसी ईश्वर का ग़ुलाम नहीं, ना ही वह किसी धर्मग्रंथ का ग़ुलाम है। यहाँ मनुष्य को आहवान किया जाता है की वह किसी भी मार्ग से अपने अंदर की दिव्यता को जागरूक करे।
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भारतीय प्रधानमंत्री का युएन में एक ज़रूरी भाषण, जिसका वक्त आ चुका है
अगर मैं कभी भारत के प्रधानमंत्री के तहत शपथ लेता, तो अपने पहले ही युएन भाषण में यह स्पष्टता दुनिया के सामने रख देता। वक्त आ चुका है की वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री जो भी हो, वह इस दिशा में चलना (ना की सोचना) शुरू कर दे।
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आदिवासी बनाम शहरी या मानव बनाम प्रकृति..? इस संघर्ष का सच क्या है..?
‘यही एकमात्र देश है जहाँ आदिवासियों द्वारा लिखे गए ग्रंथों को मैदानी सभ्यता के लोग अपने धर्मग्रन्थ मान के पूजते हैं और उसका आचरण करते हैं। यह आदिवासियों को आत्मज्ञानी ऋषि बनाने वाला देश हैं। सच्ची तस्वीर ये है।’
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भारत को अखंडित रखने के लिए आज भी चाणक्य श्रेष्ठ मार्गदर्शक
"जिसने पौधा लगाया है उसे ही जमीन की सही जानकारी होती हैं, उसी तरह भारत की अखंडितता के लिए बुनियादी विचार क्या हैं यह अखंड भारत के सौप्रथम निर्माता चाणक्य से ही जान सकते हैं।"
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तथाकथित हिंदूराष्ट्र बनने के बाद देश की क्या हालत होगी, इसका ट्रेलर शुरू हो चूका है
"जब तक हिन्दू होने का सही अर्थ जनमानस में स्थापित नहीं होता, तब तक हिन्दूराष्ट्र का विचार इस देश के भविष्य के लिए ख़तरनाक है।"
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पश्चिम बंगाल कहीं दूसरा कश्मीर बनने के रास्ते पर तो नहीं?
"जो लोग भारत की महानता दिखाकर विकृत सेक्युलरवाद को पेश करते हैं। वह पहले यह समझ ले कि इस देश का नाम 'भारत' तभी तक है जब तक यहाँ हिंदू विचार बहुसंख्यक हैं। उसके बाद, ना 'भारत' होगा, ना ही उसकी महानता।"
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क्या है हिंदु राष्ट्रवाद?
'कैसे ‘लिबरलिज़म’ के मूर्ख विचार को वह प्रकाश दिखाता है?'
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साम्यवादी लेफ्ट: आदर्शवाद और आतंकवाद के बीच गोते खाती विचारधारा
"JNU में प्रकट हुए राष्ट्र-विरोधी जीन में जिहादी और कम्युनिस्ट विचारों का कॉकटेल है। लेकिन नई पीढ़ी जिसके बारे में बहुत कम जानती है वह साम्यवाद, आतंकवाद को जिहाद की तुलना में कई अधिक मुलभुत सहमति देता हैं।”
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भारत में साम्यवाद का इतिहास: लोकतांत्रिक मार्ग से नक्सली मार्ग तक
"उस समय चारु मजूमदार और सान्याल को महात्मा गांधी की तरह महान नेता माना जाता था। लेकिन, बाद में उनकी हिंसक लड़त भटक गयी और निर्दोषो की भी हत्या होने लगी।"
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