गुजरात के भविष्य में आम आदमी पार्टी का स्थान

Written By Dr. Kaushik Chaudhary

Published on July 22, 2022/ On Facebook

‘वो कोई भी विपक्षी पार्टी जो गुजरात में भ्रष्टाचार के विरोध में सत्ता में आना चाहती है, वह पहले हिन्दुओं की सुरक्षा का भरोसा और मुस्लिम तुष्टिकरण एवं अतिक्रमण के ख़िलाफ़ होने का सख़्त संदेश गुजरात की जनता को दे। वह सेक्यूलरिज़म और निष्पक्षता का भ्रष्ट आलाप यहाँ नहीं चलेगा।’

यह इन दो वास्तविकताओं पर आधारित है।

1. आम आदमी पार्टी कहीं भी सत्ता में इसी लिए आती है, क्योंकि उस जगह कोंग्रेस बेअसर हो चुकी है, और कोंग्रेस को वोट देने वाले सारे लोग बीजेपी के ख़िलाफ़ आम आदमी पार्टी को वोट देते है। तो असल में, आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने वाले लोग हर जगह वहीं है, जो कोंग्रेस को सत्ता में लाते थे। इसलिए आम आदमी पार्टी को भी सत्ता में आकर वही करना पड़ेगा, वही बोलना पड़ेगा, जो कोंग्रेस करती और बोलती थी।
यही वजह है की 2012 में जब केजरीवाल दिल्ली में पहलीबार चुनाव लड़ने जा रहे थे, तब लोगों से कह रहे थे, ‘मोदीजी गुजरात से बीजेपी का प्रचार करने आ रहे है। पर याद रखना वह गुजरात के मुख्यमंत्री है, वह दिल्ली में नहीं आएँगे। वह अच्छे नेता है, लोकसभा में उन्हें वोट दे देना और प्रधानमंत्री बनाना। पर यहाँ दिल्ली में हमें वोट दो। हम उनके जैसा काम यहाँ करेंगे।’ लेकिन फिर कोंग्रेस लुप्त हो गई और चुनाव बीजेपी वरसिस आम आदमी पार्टी हो गए। तब वही केजरीवाल मोदी को गालीयाँ देने लगे, कश्मीर में जनमत संग्रह की माँग करने लगे, सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने लगे, कश्मीर फाइल जैसी संवेदनशील फिल्म से नफरत करने लगे और न जाने क्या क्या? बस यही समझना है, आप जिनके वोट से सत्ता में आते है, उन्ही की बात और उन्ही के काम करने पड़ते है। तो, गुजराती समझदार लोग है। उन्हें पता होगा गुजरात में आम आदमी पार्टी को वोट कौन देगा और गुजरात में वह पार्टी किस के काम करेगी।

2. दूसरा, हिंदू समाज की सुरक्षा के कारण से जब बीजेपी को हिन्दुओं के वोट गेरेंटी से मिलने लगे, तब मुस्लिम तुष्टिकरण वाले कांग्रेसी विपक्ष ने गुजरात में प्रासंगिकता गँवा दी। और इस चीज़ का ग़लत फ़ायदा नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद बीजेपी के नेताओं ने खूब उठाया। वह हिंदुत्व को छोड जातियों की राजनीति करने लगे और हर सरकारी और अर्ध सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को बेक़ाबू कर दिया। वही हिंदू समाज जो मुस्लिम तुष्टिकरण से असुरक्षा में था, वह उससे मुक्त होकर भ्रष्टाचार और जातिवाद के ताप से तड़पने लगा। बीजेपी का व्यवहार कुछ ऐसा हो चुका था और है की ‘हिंदू और कहाँ जाएँगे? दूसरी ओर तो मौत और इस्लामी अतिक्रमण है, उससे तो अच्छा है भ्रष्टाचार को सहन कर ले।’
एक माइने में यह उन मुग़ल राजाओं की मानसिकता थी जिससे वह जज़िया टेक्स लेते थे। जज़िया टेक्स इस सोच से लिया जाता था की, ‘आप हिंदु एक इस्लामी शासन में जी रहे है। और इस्लाम कहता है की हर ग़ैर-मुस्लिम को या तो कन्वर्ट करो या मार दो। तो जो अभी तक कन्वर्ट नहीं हुए और हमने उनको अभी तक मारा नहीं, हम उनकी रक्षा कर रहे है। और इस रक्षा के बदले में टेक्स लगेगा।’ यही टेक्स जज़िया टेक्स कहलाया। गुजरात ही नहीं, देशभर की बीजेपी सरकारों में से कोई भी सरकार अगर हिंदू वोटरों को मुसलमानों से रक्षा के नाम पर ‘टेकन फ़ॉर ग्रांटेड’ लेते हुए बदले में एक भ्रष्ट व्यवस्था देती है, तो वह प्रमाण है कि वह इसी जज़िया टेक्स वाली मुग़लई सोच में गिर चुकी है। बस इसी सोच के विपरीत ग़ुस्से में गुजरात में आम आदमी पार्टी के लिए जगह बनी है। पर उसमें हिंदुओं के लिए पहले मुद्दे में चर्चित ख़तरा है।

तो, एक तरह से गुजरात के हिंदू समाज की ओर से राजनैतिक पार्टियों को देने के लिए सिर्फ़ यह दो ही विकल्प है।

1. या तो बीजेपी नेतृत्व हिंदू सभ्यता के प्रति अपने दायित्व के भाव से कार्य करे, ना की हिंदू समाज पर किसी उपकार के भाव से, और एक भ्रष्टाचार हीन पारदर्शी व्यवस्था दे।

2. या फिर वो कोई भी विपक्षी पार्टी जो गुजरात में भ्रष्टाचार के विरोध में सत्ता में आना चाहती है, वह पहले हिन्दुओं की सुरक्षा का भरोसा और मुस्लिम तुष्टिकरण एवं अतिक्रमण के ख़िलाफ़ होने का सख़्त संदेश गुजरात की जनता को दे। वह सेक्यूलरिज़म और निष्पक्षता का भ्रष्ट आलाप यहाँ नहीं चलेगा।